Home किशनगंज किशनगंज। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाकर ही अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जा सकता है।

किशनगंज। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाकर ही अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जा सकता है।

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किशनगंज। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाकर ही अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जा सकता है।

 

 

इसके लिए नाबार्ड द्वारा जिला के सभी प्रखंड में कई योजनाएं चलाई जा रही है। इनमें वाडी योजना, मशरूम उत्पादन, बकरी पालन और जूट निर्मित उत्पाद शामिल हैं। इन सब योजनाओं के माध्यम से आदिवासी परिवार सहित सामान्य महिलाओं को भी जीविका से जोड़ने का काम चल रहा है। अब तक इन योजनाओं के सैकड़ों लोग अपनी आर्थिक समृद्धि की कहानी लिखकर जीवन में बदलाव लाने में सफल रहे हैं।

वाडी परियोजना के तहत पोठिया प्रखंड में पांच सौ आदिवासी परिवार को जोड़ा गया है। इसके अंतर्गत पांच सौ एकड़ जमीन में पौधारोपण इन्हें आय अर्जन के लिए जीविका से जोड़ा गया है। इसके अंतर्गत आम, अमरूद और इमारती लकड़ी के पौधे लगाए गए हैं। प्रति एकड़ दो सौ पौधारोपण किया गया था। अब ये सब पौधे बड़े होकर पेड़ बन गए हैं। इन पेड़ों से प्राप्त होने वाले आम और अमरूद के फलों को बेचकर आदिवासी परिवार के सदस्य अपना जीवन खुशहाल रूप से चलाने में कामयाब होते दिख रहे हैं। अब आदिवासी परिवार के सदस्य किचन गार्डेन भी करने लगे हैं। इस किचन गार्डेन के माध्यम से दैनिक जीवन में भोजन के लिए जरूरी छोटी मोटी चीजें स्वयं ही उत्पादन कर लेते हैं। इनमें प्याज, धनिया, लहसुन, टमाटर, बैगन, अदरक और मिर्ची सहित कई अन्य सामग्री शामिल हैं। महिलाओं को दिघलबैंक प्रखंड में जूट से निर्मित सामग्री बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। सैकड़ों महिलाएं प्रशिक्षण लेने के बाद इस समय जूट से समान बनाने के काम में लगे हैं। बंगाल में जूट निर्मित सामग्री की मांग अधिक है। इस वजह से महिलाओं द्वारा निर्मित सामान जिला सहित बंगाल के बाजार में बेचे जाते हैं। मशरूम उत्पादन से 12-15 हजार रुपये मासिक कमा रही महिलाएं -नाबार्ड द्वारा ठाकुरगंज प्रखंड में उर्मिला मशरुम फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड गरीबी उन्मूलन के लिए चला जा रहा है। इससे 648 लोगों को जोड़ा गया है। वित्तीय वर्ष में इस कंपनी द्वारा नौ सौ क्विंटल मशरूम का उत्पादन किया गया। जिसे बेचने पर 63 लाख रुपये प्राप्त हुए। इस काम में लगे लोगों की मासिक आय 12-15 हजार रुपये तक हो रही है। इसी प्रकार उर्मिला गोटरिग प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड द्वारा बकरी पालन से लोगों को जोड़ने की कवायद चल रही है। इसमें भी लगभग 640 सदस्य हैं। इस प्रकाय यह बहुत सारे परिवारों के भरण पोषण का साधन बन गया है। सुनीता टुडू, मंती टुडू, सांभवी हेमब्रम और किरण टुडू ने बताया कि वाडी परियोजना ने जीविका का बेहतर साधन उपलब्ध करवाया। अब जो इस योजना ने लोगों को व्यवसायिक भी बना दिया। ऐसा प्रतीत होता है कि अब जीवन में आर्थिक बदलाव तीव्र गति से होने लगे हैं। इससे परिवार की आमदनी बढ़ने के साथ समाज में मान सम्मान भी बढ़ता दिखता रहा है।source jagran

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