
बिहार में MBBS छात्र ने की खुदकुशी, किशनगंज MGM मेडिकल कॉलेज के बॉयज हॉस्टल में मिला शव – MBBS STUDENT KILLED HIMSELF
बिहार के किशनगंज MGM मेडिकल कॉलेज में ऐसा क्या हुआ कि MBBS के छात्र ने दे दी जान!. हॉस्टल के कमरे में मिला शव, पढ़ें
किशनगंज: बिहार के किशनगंज एमजीएम मेडिकल कॉलेज के बॉयज हॉस्टल में एमबीबीएस फर्स्ट इयर के छात्र का शव मिला है. बीते शुक्रवार को छात्र ने अपने कमरे में आत्महत्या कर ली है. मृतक 19 वर्षीय छात्र सहजप्रीत सिंह पंजाब के गुरदासपुर रनिया का रहने वाला था. बताया जा रहा है कि मृतक छात्र कॉलेज के ही बॉयज हॉस्टल में रहता था.
बॉयज हॉस्टल में छात्र ने की आत्महत्या: शुक्रवार की दोपहर हॉस्टल के कमरे से सहजप्रीत सिंह काफी देर तक बाहर नहीं निकला, तब पास के छात्र और मृतक के एक रिश्तेदार कमरे की तरफ गए. उन्होंने देखा कि कमरा अंदर से बंद था, जिस को लेकर आशंका होने पर कमरे को खुलवाया गया. जिसके बाद कमरे में ही छात्र सहजप्रीत का मिला. उसको देखकर अन्य छात्रों के होश उड़ गए.
छात्र ने क्यों की आत्महत्या?: छात्र को आनन-फानन में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. सूचना मिलने पर सदर थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पुलिस अभिरक्षा में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल पहुंचाया गया. अवर निरीक्षक अंकित कुमार सिंह और अवर निरीक्षक स्वाति पटेल घटना स्थल पर पहुंची थी. बताया जा रहा है कि मृतक छात्र कुछ दिनो से पढ़ाई को लेकर परेशान रहता था.
कब लिया था छात्र ने दाखिला: घटना को लेकर थाने में यूडी केस दर्ज किया गया है. मेडिकल कॉलेज के सूत्रों के अनुसार एमबीबीएस फर्स्ट इयर के छात्र ने कुछ दिन पूर्व ही मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया था लेकिन उसे पढ़ने में दिलचस्प नहीं थी. वो पढ़ाई को लेकर काफी परेशान रहता था. इसी दौरान शुक्रवार को हॉस्टल के कमरे में उसने आत्महत्या कर ली है.
क्या कहती है पुलिस?: बता दे किशनगंज एमजीएम मेडिकल कॉलेज बिहार भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ दिलीप कुमार जायसवाल का है. किशनगंज सदर एसडीपीओ वन गौतम कुमार ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया गया है. घटना को लेकर फिलहाल यूडी केस दर्ज किया गया है.
“किशनगंज एमजीएम मेडिकल कॉलेज के बॉयज हॉस्टल में एमबीबीएस फर्स्ट इयर के छात्र ने आत्महत्या कर ली है. मामले के लेकर परिजनों को सूचना दी गई है और फिलहाल यूडी केस दर्ज किया गया है.”- गौतम कुमार, सदर एसडीपीओ वन, किशनगंज
नोट: अक्सर लोग मानसिक परेशानियों को गंभीर बीमारी नहीं मानते, जिस कारण वे चिकित्सकीय सलाह लेने से कतराते हैं. यही कारण है कि अवसाद (डिप्रेशन) की समस्या बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक तेजी से बढ़ रही है. अगर लगातार मन में नकारात्मक विचार या स्वयं को नुकसान पहुंचाने जैसे ख्याल आने लगें, तो तुरंत मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करना जरूरी है. इसके साथ ही अपनी भावनाओं और समस्याओं को परिवार या भरोसेमंद दोस्तों के साथ साझा करना भी मददगार साबित हो सकता है. जरूरत पड़ने पर मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करें.