
पर्यावरण को बचाने पैदल निकली है जूएनयू की छात्रा
‘सेव नेयर फॉर आवर फ्यूचर’ का संदेश देने के लिए जेएनयू की छात्रा निजारा फुकोन 2250 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकली है। इस दौरान निजारा फुकोन छह राज्यों से गुजरेंगी और 50 हजार लोगों से मिलेंगी। अंत में राष्ट्रपति भवन पहुंच कर महामहिम को प्रकृति को बचाने के लिए मांग पत्र सौपेंगी। रविवार को उनकी यात्रा का एक हजार किलोमीटर पूर्णिया में पूरा हुआ।
असम के चोरायदेव जिले के लाइसेन गांव की रहने वाली निजारा फुकोन जेएनयू से पीएचडी कर रही है। उनके पिता बोगाधर फुकोन किसान हैं। निजारा कहती हैं कि दिल्ली के प्रदूषण से वो परेशान थी। प्रदूषण की ये बीमारी उनके असम को भी प्रभावित करने लगी है। बढते प्रदूषण ने उनको पैदल यात्रा के लिए मजबूर और प्रेरित किया। उन्होंने तय कि असम से दिल्ली तक पैदल यात्रा कर प्रकृति और पर्यावरण को बचाने, इसकी रक्षा करने का संदेश देना है। असम की एनजीओ सेव नेचर फॉर आवर फ्यूचर की मदद से उन्होंने पहली दिसंबर 2019 को असम के चोरायदेव जिले से पैदल यात्रा शुरू किया। अब तक एक हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुकी हैं। वो बताती हैं कि प्रदूषण के कारण बारिश कम हो रही है। बारिश कम होने से खेती प्रभावित हो रही है। असम के तराई इलाके में भी खेती प्रभावित होने लगी है। जबकि वहां पर खेती के अलावा लोगों के पास दूसरा कोई काम नहीं है। ऐसे में बहुत जरूरी हो गया कि प्रदूषण को फैलने से रोका जाए। तभी हम और हमारी प्रकृति बची रह सकती है।
नार्थ इस्ट बने पर्यावरण विश्व विद्यालय :
निजारा फुकोन कहती हैं कि वो दिल्ली पहुंच कर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और वन और पर्यावरण मंत्री से मुलाकात करेंगी और उनको अपना मांग पत्र देंगी। वो चाहती हैं कि नेचर्स राइट एक्ट 2020 बनाया जाए जो देश के संविधान के अनुरूप बने। नार्थ इस्ट में पर्यावरण विश्वविद्यालय बनाया जाए। प्रकृति को बचाने के लिए सेंट्रल सिक्यूरिटी फोर्स के नाम पर सुरक्षा बल का निर्माण किया जाए। ये कानून बने कि महीने में एक दिन हर सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारी को पर्यावरण बचाने के लिए काम करना होगा। इतना ही जंगल के कटाव को रोकने के लिए पड़ोसी मुल्क से समझौता होनी चाहिए। असम में कार्यरत संगठन वृक्षबंधू की सचिव निजारा की इच्छा है कि बदलते पर्यावरण के इस दौर में हर आदमी प्रकृति को बचाने में अपनी भूमिका तय करे और उसे निभाए भी।
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