
माल गोदाम मंदिर में 1962 से होती आ रही है दुर्गा पूजा
शहर के रेलवे मालगोदाम में मां दुर्गा पूजा की तैयारी शुरू हो गई है। यहां मां की आकर्षक प्रतिमा के साथ भव्य पंडाल बनाया जाता है। मंदिर के चारों ओर रास्तों में लाइट और सजावट की जाती है। यहां वैष्णवी पद्धति से माता की पूजा होती है और श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगी रही है। यहां बंगाल के रहने वाले दत्ता बाबू की पोस्टिंग मालगोदाम में हुआ था। उन्होंने ही स्थानीय लोगों की मदद से पहली बार मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर 1962 में पूजा की शुरूआत की थी। तब से लेकर अब तक यह जारी है। गम्हरिया के शत्रुघ्न मंडल के पूर्वज ही प्रतिमा बनाते आ रहे हैं। जबकि माता की आंख बनाने पटना के कलाकार अक्षय कुमार आते हैं। पहले नालंदा से आदिवासियों की टीम यहां ढोल नगाड़ा बजाने आती थी। हालांकि उनलोगों ने काम छोड़ा तो पिछले चार-पांच साल से परसरमा की टीम सुबह-शाम मंदिर परिसर में ढोल नगाड़ा बजाती है। अष्टमी के दिन महाआरती होती है। कलश स्थापना के दिन से ही मुख्य पुजारी संतोष झा और सहायक पुजारी हृदय झा रहते हैं। न्योता देने के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए माता का पट खोला जाता है। रेलवे माल गोदाम मंदिर परिसर में पूजा के दौरान कई दुकानें लगती हैं।