पटना — बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महिला मतदाता एक बार फिर किंगमेकर बनकर उभर सकते हैं। राज्य के अंतिम मतदाता रॉल में लगभग 7.42 करोड़ नाम दर्ज हैं, जिनमें लगभग 3.5 करोड़ महिलाएँ शामिल बताई जा रही हैं — जिससे सभी राजनीतिक दलों की रणनीतियाँ महिलाओं को केन्द्र में रखकर बन रही हैं। इस रिपोर्ट में हम 2020 के मतदान रुझान, नीतीश कुमार के ‘साइलेंट सपोर्ट’ का इतिहास, और तेजस्वी यादव की महिला-केंद्रित रणनीति का विश्लेषण करते हैं। The Economic Times+1
संक्षिप्त विश्लेषण — क्या हैं बड़े फैक्ट्स (स्रोत सहित)
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फाइनल वोटर-लिस्ट और महिला मतदाता: चुनाव आयोग/प्रेस रिपोर्ट के अनुसार बिहार की अंतिम मतदाता सूची ~7.42 करोड़ दर्शाती है और मीडिया रिपोर्ट्स में महिलाओं की संख्या लगभग 3.5 करोड़ बतायी गयी है — जो चुनावी रणनीतियों के लिए निर्णायक है। The Economic Times+1
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महिला वोटों की बढ़ती भागीदारी (2020 ट्रेंड): 2020 विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक रही (लगभग 60% बनाम पुरुषों के ~54%) और महिलाओं ने 243 सीटों में से 167 सीटों पर पुरुषों से अधिक मतदान किया — यही ट्रेंड 2025 में भी देखे जा रहे हैं। India Today+1
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SIR और मतदाता संशोधन का प्रभाव: 2025 की Special Intensive Revision (SIR) के बाद वोटर-लिस्ट में बड़े पैमाने पर नाम हटाये/जोड़े गए — इसने कुछ विश्लेषकों के अनुसार महिला मतदाताओं के आंकड़ों पर असर डाला है और राजनीतिक बहस छिड़ी है। Press Information Bureau+1
नीतीश का ‘साइलेंट सपोर्ट’ — इतिहास और वजह
नीतीश कुमार ने पिछले दो दशक में महिलाओं के लिए कई लक्षित योजनाएँ और आरक्षण नीतियाँ लागू की हैं — जैसे पंचायतों में 50% आरक्षण, छात्रवृत्ति, साइकिल/प्रोत्साहन स्कीम व अन्य सामाजिक सुरक्षा उपाय — जिनका प्रभाव ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं के भरोसे के रूप में दिखा। इन नीतियों ने महिलाओं के बीच नीतीश को एक ‘भरोसेमंद प्रशासन’ के रूप में स्थापित किया, जो कई सीटों पर निर्णायक साबित हुआ। Moneycontrol
तेजस्वी की रणनीति — महिलाओं को कैसे साधेंगे?
तेजस्वी यादव और RJD ने महिला-केंद्रित वादे अधिक जोर-शोर से रखे हैं — रोजगार, मासिक अनुदान/महिला पेंशन (उदाहरण: ‘माई बहिन मान’), माँ-बेटी योजनाएं, जीविका दीदी को नियमित करना और शैक्षिक/रोजगार प्रोत्साहन। तेजस्वी की रणनीति का मूल यह है कि नया वोटर-सेगमेंट (खासकर युवा माँ और कामकाजी महिलाएँ) अब सुरक्षा व सब्सिडी के साथ-साथ अवसर, पहचान और आर्थिक आत्मनिर्भरता भी चाहती हैं। (स्थानीय RJD वक्ताओं के दावों के अनुसार)।
विपक्षी तर्क और BJP/JDU का पलटवार
BJP ने तेजस्वी के वादों पर सुरक्षा व भरोसे का सवाल उठाया है और ‘जंगलराज’ का संदर्भ देकर उन्हें अस्थिरता से जोड़ने की कोशिश की। JDU का तर्क है कि नीतीश के शासनकाल में महिलाओं के लिए लागू योजनाएँ वास्तविक लाभ पहुँचा रही हैं — इसलिए महिलाएँ मौजूदा प्रशासन को श्रेय देती हैं। यह टकराव सीधे तौर पर महिला वोटरों के भावात्मक और व्यवहारिक निर्णय पर असर डालेगा।
की-मैट्रिक्स (Quick Stats Table)
| मेट्रिक | आंकड़ा / टिप्पणी | स्रोत |
|---|---|---|
| कुल मतदाता (Final roll 2025) | ≈ 7.42 करोड़ | ECI / मीडिया रिपोर्ट्स. The Economic Times |
| अनुमानित महिला मतदाता | ≈ 3.5 करोड़ | मीडिया संकलन. mint |
| 2020 में महिला टर्नआउट | ~60% (महिला) vs ~54% (पुरुष) | इंडिया टुडे / TOI संकलन. India Today+1 |
| सीटें जहाँ महिलाएँ ज्यादा वोटिंग | 167/243 (2020) | इंडिया टुडे रिपोर्ट. India Today |
| SIR हटाए गए नाम | लाखों नाम हटे/जोड़े — राजनीतिक बहस | ECI SIR रिपोर्ट / मीडिया. Press Information Bureau+1 |
निष्कर्ष — क्या महिलाएँ तेजस्वी के लिए ‘किंगमेकर’ बनेंगी?
संक्षेप में — संभावना निश्चित रूप से उच्च है। पिछले ट्रेंड, मतदाता संरचना (लाखों की महिला संख्या), तथा पार्टियों की लक्षित रणनीतियाँ यही दर्शाती हैं कि महिला वोटर निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में हैं। पर असल सवाल यह है कि वोटिंग व्यवहार “प्रॉमिस बनाम परफॉर्मेंस” किसे प्राथमिकता देगा — पुराने वादों/विकास के कारण नीतीश को या तेजस्वी के नए आर्थिक/सामाजिक पैकेज को? परिणाम यह दर्शाएंगे कि क्या महिलाएँ संरचनागत नीतियों (जैसे आरक्षण, पेंशन) पर अडिग रहेंगी या बड़े वादों और भावनात्मक अपील पर स्विच करेंगी। (स्रोत: चुनाव ट्रेंड्स और विशेषज्ञ विश्लेषण



