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मधुबनी: आखिर जिले में राज्य सरकार के आदेश को कौन कराएगा अनुपालन ?

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मधुबनी: आखिर जिले में राज्य सरकार के आदेश को कौन कराएगा अनुपालन ?

भले ही शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव हो या राज्य के मुख्य सचिव, सभी के द्वारा बार-बार राज्य सरकार के कार्यालय में शिक्षकों की प्रतिनुक्ति रद्द करने का आदेश दिया जा रहा हैं.

भले ही शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव हो या राज्य के मुख्य सचिव, सभी के द्वारा बार-बार राज्य सरकार के कार्यालय में शिक्षकों की प्रतिनुक्ति रद्द करने का आदेश दिया जा रहा हैं, लेकिन मधुबनी जिले में जिलाधिकारी के कार्यालय से लेकर तमाम अन्य सरकारी कार्यालय में भी अब तक निर्वाद रूप से शिक्षक प्रतिनुक्ति होकर कार्यरत हैं. जिला मुख्यालय से लेकर अनुमंडल, प्रखंड सभी सरकारी क्षेत्रों में लगभग शिक्षकों की प्रतिनुक्ति है. मधुबनी जिला मुख्यालय में कार्यरत शिक्षकों की बात करें तो लगभग सभी विभाग में शिक्षकों की तैनाती है. शिक्षकों का नियोजन तो स्कूलों में है, लेकिन शिक्षक लगातार पिछले कई वर्षों से मुख्यालय सहित अनुमंडल, प्रखंड में अपना योगदान दे रहे हैं. पंचायती राज्य विभाग में तैनात शिक्षक अभिषेक कुमार हैं जिनका कार्य क्षेत्र तो मध्य विद्यालय भदुली प्रखंड बेनीपट्टी हैं लेकिन वे लगभग पिछले 2 वर्षो से मधुबनी जिला पदाधिकारी के गोपनीय शाखा में तैनात हैं.

 

वहीं डीडीसी (D.D.C) कार्यलय में शिक्षक नियोजन विभाग में शिक्षक सुधीर कुमार सहित 5 शिक्षकों की तैनाती है. सुधीर कुमार की नियोजन उच्य विद्यालय रहिका में है.
डीटीओ ऑफिस में शिक्षक लालबाबू लक्ष्मण सहित 4 शिक्षक कार्य कर रहे हैं. शिक्षक लालबाबू लक्ष्मण का नियोजन प्राथमिक विद्यालय खजूरी में है जो हिन्दी विषय के शिक्षक भी हैं, लेकिन उनकी प्रतिनुक्ति डीटीओ ऑफिस में हैं. शिक्षक संजीव कुमार कर्ण का नियोजन उत्क्रमित मध्य विद्यालय परोल बासोपट्टी में हैं लेकिन प्रतिनियुक्ति के आधार पर वे जिला निर्वाचन में अपनी सेवा दे रहे हैं. सर्व शिक्षा अभियान भी शिक्षकों की सेवा लेने में अछूता नही हैं. शिक्षक बौया कुमार पंडित सहित 14 शिक्षक सर्व शिक्षा अभियान में काम कर रहे हैं. शिक्षक बौया कुमार की नियुक्ति प्राथमिक विद्यालय झाड़ी टोल राजनगर में है. ये तो सिर्फ जिला मुख्यालय के कुछ विभाग का आंकड़ा भर हैं. न जाने और कई शिक्षक सरकारी विभाग के फ़ाइल को देखने में लगे हुए हैं. आखिर इतने शिक्षकों की कमी विद्यालय में कैसे पूर्ण हो सकता है.

अधिकतर सरकारी विद्यालय में गरीब बच्चों की संख्या अधिक देखने को मिलती हैं. आखिर इन बच्चों के भविष्य से खेलवाड़ क्यों किया जा रहा हैं.
भले ही सरकारी विद्यालयों के छात्रों की पढ़ाई बाधित क्यों न हो, किंतु इन सरकारी बाबुओं को इनसे क्या लेना देना, क्योंकि इनके बच्चे तो महंगे निजी विद्यालय में पढ़ते हैं. इन सवाल के संदर्भ में मधुबनी जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा से हमारे संवाददाता ने बात की तो उन्होंने कहा कि ये मामला हमारे प्रकाश में आया है. हमने शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिए हैं. जल्द ही सभी शिक्षक अपने नियोजन क्षेत्रों में अपना-अपना योगदान देंगे.

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