Home खास खबर सचिन पायलट पर दांव खेलकर कांग्रेस सुलझा पाएगी जाति की गुत्थी, 4 जातियों का ध्रुवीकरण खिला सकता है गुल

सचिन पायलट पर दांव खेलकर कांग्रेस सुलझा पाएगी जाति की गुत्थी, 4 जातियों का ध्रुवीकरण खिला सकता है गुल

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सचिन पायलट पर दांव खेलकर कांग्रेस सुलझा पाएगी जाति की गुत्थी, 4 जातियों का ध्रुवीकरण खिला सकता है गुल

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट पर दांव खेलती है तो कांग्रेस का परंपरागत वोट छिटक सकता है। जाट सीएम बनाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। राजस्थान की सिर्फ 4 जातियों के 27 प्रतिशत वोटर 100 सीटों पर प्रभावी होते हैं। जाट, राजपूत, मीना और गुर्जर। सचिन पायलट को सीएम बनाने पर कांग्रेस के लिए अन्य जातियो को साधना मुश्किल हो जाएगा। इन जातियों का ध्रुवीकरण विधानसभा चुनाव में गुल खिला सकता है। जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील ने जाट समाज से सीएम बनाने की मांग की है। आपको बता दें वर्ष 2003 और 2013 के विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने जाति कार्ड खेलते हुए कहा कि था कि वह जाटों की बहू। राजपूतों की बेटी है। गुर्जरों की समधिन है। राजपूत, जाट, गुर्जर और मीणा को राज्य में राजनीतिक रूप से सबसे मुखर माना जाते है। इन जातियों के 25 से 30% वोटर हैं।

राजस्थान की राजनीति में राजपूत और जाट परस्पर विरोधी माने जाते हैं, वैसे ही मीना-गुर्जर परस्पर विरोधी माने जाते हैं। राजस्थान की जातिय समीकरण बड़े उलझे हुए है। सीएम गहलोत अपनी जाति के एकमात्र विधायक है। इसके बावजूद राजस्थान के सीएम बनने में सफल रहे। सीएम गहलोत माली जाति से आते है। माली या सैनी जाति ओबीसी में शामिल है। गहलोत बार-बार कहते हैं रहे हैं कि राजस्थान की जनता का आशिर्वाद की वजह वह तीन बार मुख्यमंत्री बन गए। यह किसी जादू से कम नहीं है। राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि सचिन पायलट ने सीएम गहलोत की तरह हमेशा ही जातिय सम्मेलनों से दूरी बनाई है। पायलट पर गुर्जर छाप का ठपा नहीं है। सभी जातियों में पायलट की पैठ है।

चुनाव में विकास के मुद्दे गौण हो जाते हैं 

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है मामला जब सत्ता पर नियंत्रण का आता है तो चनाव में विकास के मुद्दे गौण हो जाते हैं। सत्ता पर नियंत्रण के लिए एकजुट हो जाते हैं। कांग्रेस यदि सचिन पायलट को सीएम बनाती है तो कांग्रेस का पूर्वी राजस्थान का किला ढह सकता है। पूर्वी राजस्थान की 50 सीटों पर मीना वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं। जो कि कांग्रेस का परंपरागत वोट माना जाता है। गुर्जर आऱक्षण के दौराना ये दोनों जातिया आमने-सामने हो गई थी। अलवर, दौसा, करौली, सवाईमाधोपुर, धौलपुर, भरतपुर औऱ जयपुर ग्रामीण में जाति के वर्चस्व को लेकर ही वोटिंग होती रही है। 2018 के चुनाव में पूर्वी राजस्थान से कांग्रेस को बंपर जीत मिली थी। कांग्रेस ने 39 सीटें जीती जबकि बीजेपी और बसपा को एक-एक सीट मिली।

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