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गोरैया और विश्व जल दिवस समापन समारोह

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गोरैया और विश्व जल दिवस समापन समारोह

जैव-समृद्धि का मंत्र: गाय-गोबर और गोरैया
स्थानीय एम एल एस एम महाविद्यालय दरभंगा के प्रांगण में प्रधानाचार्य डॉक्टर विद्या नाथ झा की अध्यक्षता में दिनांक 22 मार्च 2021 को आयोजित बिहार दिवस के अवसर पर आरंभ कार्यक्रम विश्व गौरैया दिवस और विश्व जल दिवस पर आधारित व्याख्यानमाला के समापन के साथ बिहार राज्य खाशकर उत्तर बिहार में गोरैया के संरक्षण के साथ-2 जल संरक्षण के क्षेत्र में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

 

इस कार्यक्रम में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पक्षी विशेषज्ञ श्री राजीव रंजन पांडे प्रमुख आमंत्रित अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, प्राणी शास्त्र विभाग तथा महाविद्यालय आइ.क्यू.ए.सी. के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस व्याख्यानमाला में भारी संख्या में छात्र-छात्राओं,शिक्षकों, कर्मियों एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों औरं स्वयं सेविकाओं ने भाग लिया। इस अवसर पर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।

 

 

विश्व एस्पेरो दिवस से संबंधित विविध प्रकार के स्लोगन और मॉडल को प्रदर्शित कर छात्रों द्वारा पक्षियों के लिए संरक्षण के क्षेत्र में प्रदूषण के खतरो को दर्शाते हुए विविध प्रतिरुपों में माध्यम से विकास की रुपरेखा का जीवंत प्रदर्शन किया। मॉडलों के माध्यम से पेय जल प्रदूषण, इसके दुरुपयोग और इससे पशु-पक्षियों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों और इन दुष्प्रभावों से पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विविध उपायों को प्रदर्शित किया गया। मॉडलों का प्रदर्शन महाविद्यालय के छात्रों अमन, कविता, मानसी, वंदना, अंकिता, अर्पणा, प्रकाश, सुभद्रा, शंभू, नूतन, आशुतोष, संगीता और गोविंद कुमार ने संयुक्त रुप से तैयार कर प्रदर्शित किया। व्याख्यान श्रृंखला में भाग लेने वाले छात्रों में योगिता रानी और शांति यादव ने पक्षियों के प्राणी शास्त्रीय विशेषताओं और इसके विकास के लिए उचित माहौल के निर्माण से संबंधित महत्वपूर्ण पक्षों को प्रस्तुत किया।

 

व्याख्यानमाला में चर्चा करते हुए घरेलू पक्षियों के रूप में गोरैया से होने वाले लाभ और कृषि के क्षेत्र में एस्पैरों के महत्व की चर्चा की गई। वतौर मुख्य अतिथि श्री राजीव रंजन पांडे ने कहा किस जीव-जंतु हमें प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व सूचना देते हैं और कृषि के क्षेत्र में हमें सहयोग प्रदान करते हैं। अतः हमें भी उनकी सुख-सुविधाओं का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा किए स्पैरो का जीवन 3 से 4 वर्ष का होता है और यह आहार श्रृंखला की एक प्रमुख कड़ी है जो जैव मंडल की गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। उन्होंने कहा की बिहार राज्य में जल, जीवन और हरियाली के कार्यक्रम में भी गोरैया का संरक्षण अहम है। यह वनों के विस्तार में और उसके संरक्षण में मदद करती है। गोड़ैया के बारे में विशेष चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि चीन में गोरिया के भारी संख्या में विनाश के कारण ही फसलों पर कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया और एक महाअकाल का सामना राष्ट्र को करना पड़ा। अभी हाल में ही टिड्डियों की संख्या में वृद्धि के पीछे वन्यजीवों विशेष रुप से पक्षियों का भारी संख्या में विनाश के कारण हुआ है। अपने भाषण में उन्होंने कहा जलवायु पक्षियों के संरक्षण में एक नियंत्रण प्रणाली का निर्माण करता है और तापमान में वृद्धि पक्षियों के विनास का कारण बनता है। प्रदूषण और रेडिएशन भी पक्षियों के विकास और उसके वृद्धि में बाधक है। कीटनाशक दवाओं का भी पक्षियों के चूजों पर हानिकारक प्रभाव होता है। इसलिए उसके संरक्षण के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देना चाहिए। कीटनाशकों के उपयोग में नहीं लाने से जो बचत किसान करते हैं, उसे इस फार्मिंग में लगाना चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि गाय, गोबर और गौरैया का संबंध काफी गहरा है जो पक्षियों के संरक्षण में उपयोग में लाना चाहिए। प्रधानाचार्य विद्या नाथ झा ने अपने अभिभाषण में विश्व में गहराते गहराते जल संकट को दूर करने के लिए इसके संरक्षण और इसके कवरेज एरिया में बढ़ोतरी के लिए कार्य करने की आवश्यकता जतायी। उन्होंने कहा कि विश्व के कुल जल संसाधन का 1प्रतिशत से भी कम पेयजल के रूप में विद्यमान है लेकिन पेयजल के भारी मात्रा में दुरुपयोग के कारण भूमिगत जल स्तर में साल दर साल कमी आ रही है। इसे दूर करने के लिए सबको मिलजुल कर काम करना होगा और जल के संरक्षण का प्रयास करना होगा। कृषि के क्षेत्र में ड्रीप फार्मिंग ड्रिप फार्मिंग के माध्यम से कृषि क्षेत्र में जल के उपयोग को कम किया जा सकता है और उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। जल के संरक्षण से हरित क्षेत्र में वृद्धि होगी और पक्षियों के संरक्षण का कार्य संपादित होगा। उन्होंने कहा, वर्षा जल का संरक्षण] जहाँ बारिश हो -&वहाँ जल का संरक्षण हो ** के आधार पर किया जा सकता है।

 

डा0 झा ने कहां की गौरैया की-स्टोन स्पीशीज है जो दूसरों के लिए भी जैव श्रृंखला के निर्माण में सहायता करते हैं। कार्यक्रम में उपस्थित प्राणी शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर एम.एम.आर. नोमानी ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया। राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने एन.एस.एस. प्रतीक चिन्ह से अतिथियों का स्वागत किया तथा आइ.क्यू.ए.सी. के अध्यक्ष विनोद कुमार मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

 

कार्यक्रम का निर्माण एवं संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ0 कालिदास के निर्देशन में संपादित किया गया। इस कार्यक्रम में बतौर राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक के रूप में सुजीत कुमार, चंदन कुमार, रूद्रानंद, कृष्ण कुमार, तृप्ति, रिचा, गौरव, सुप्रिया, ज्योति, प्रतीक, निशांत, राजकुमार, राजकुमार, शिवम, श्वेता, किरण, सन्दीप, बंदना और अर्पणा के साथ महाविद्यालय के डॉ0 गणेश कांत झा, डॉक्टर ऋषिकेश पाठक और अर्थशास्त्र विभाग के डॉ0 राधा गोविंद झा ने इस व्याख्यान माला कार्यक्रम में अपनी महती भूमिका निभाई।

 

प्रदीप कुमार नायक

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