
बिहारः हर खेत को पानी का लक्ष्य, 10 दिसंबर से खुलेंगी नहरें; जल संसाधन विभाग इस योजना पर कर रहा काम
बिहार सरकार रबी फसलों की सिंचाई की तैयारी में जुट गयी है। इसके लिए सिंचाई के लिए पानी की जरूरत का नए सिरे से लक्ष्य निर्धारित होगा। सभी मुख्य अभियंताओं से अपने-अपने प्रक्षेत्र में सिंचाई का क्षेत्र तय कर मुख्यालय को रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। पिछले दिनों विभाग के सचिव की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में रबी सिंचाई को लेकर विस्तृत चर्चा की गयी। इसमें हर हाल में जरूरतमंद खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने की योजना बनायी गयी। बैठक में सभी 9 मुख्य अभियंता प्रक्षेत्र को हर हाल में 15 नवंबर तक अपने-अपने क्षेत्र से सिंचाई का लक्ष्य तयकर जानकारी भेजने का निर्देश दिया गया।
मुख्यालय से मॉनिटरिंग
जल संसाधन विभाग खुद भी रबी सिंचाई के लिए कार्ययोजना बनाने में जुट गया है। मुख्यालय स्तर से इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी। उधर, मुख्यालय के निर्णय के बाद डिहरी, नालंदा, गया, औरंगाबाद, भागलपुर, मोतिहारी, सीवान, सहरसा और दरभंगा मुख्य अभियंता प्रक्षेत्र रबी सिंचाई को लेकर लक्ष्य तय करने में जुट गया है। इस साल कम से कम 750 हजार हेक्टेयर क्षेत्रों को सिंचित करने की योजना बन सकती है। गत वर्ष 732 हजार हेक्टेयर में रबी की सिंचाई का लक्ष्य तय किया गया था। हालांकि वर्ष 2020-21 में 740 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी सिंचाई का लक्ष्य तय हुआ था।
इन नहरों से मिलेगा पानी
सामान्यत प्रदेश में 700 हजार हेक्टेयर भू-भाग में रबी की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध रहता है। प्रदेश में 10 दिसंबर से रबी सिंचाई के लिए नहरों में पानी दिया जाएगा। हर साल उसी दिन से नहरों के माध्यम से खेतों तक पानी पहुंचाया जाता है। राज्य सरकार सोन नहर प्रणाली, गंडक नहर प्रणाली और कोसी नहर प्रणाली से रबी सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराती है। कोसी और गंडक नहर प्रणाली से 105 दिन, जबकि सोन नहर प्रणाली से 121 दिन सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है। सोन नहर प्रणाली में 16 दिनों तक अधिक पानी की उपलब्धता रहती है। ऐसे में मुख्य अभियंता प्रक्षेत्र द्वारा लक्ष्य तय होने के बाद मुख्यालय उसी आधार पर नहर प्रणाली से पानी देने की योजना को अंतिम रूप देगा। इससे जरूरत के अनुसार नहरों में पानी उपलब्ध हो सकेंगे।
खरीफ के लिए भी जाता है पानी
खरीफ के लिए भी सोन, गंडक और कोसी नहर प्रणाली से पानी दिया जाता है। सोन नहर से 20 मई से 30 अक्टूबर, कोसी और गंडक नहर से 25 अप्रैल से 25 अक्टूबर तक सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध रहता है। पिछले 18 वर्षों से यही रूटीन निर्धारित है। वर्ष 2021-22 में 2093.83 हजार हेक्टेयर में खरीफ के लिए सिंचाई उपलब्ध करायी गयी है। इसके लिए वृहद और मध्यम सिंचाई योजनाओं की मदद ली गयी।