Home खास खबर “POCSO केस में पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को बड़ी राहत, पटना हाईकोर्ट ने सुनाया बरी का फैसला”

“POCSO केस में पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को बड़ी राहत, पटना हाईकोर्ट ने सुनाया बरी का फैसला”

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पटना, बिहार।
राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाने वाले बहुचर्चित POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) केस में आज एक बड़ा मोड़ आया है। पटना हाईकोर्ट ने आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव सहित सभी अभियुक्तों को बरी करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि निचली अदालत का फैसला साक्ष्यों और परिस्थितियों के पर्याप्त आधार पर टिक नहीं पा रहा है, इसलिए अपील स्वीकार करते हुए सभी को बरी किया जा रहा है।

मामले का संक्षिप्त इतिहास

यह मामला वर्ष 2016 का है, जब बिहार के नालंदा जिले के गिरियक थाना क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म का आरोप सामने आया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसे एक महिला ने बर्थडे पार्टी के बहाने बुलाया और जबरन शराब पिलाने की कोशिश की। उसके मना करने पर एक व्यक्ति ने उसके साथ बलात्कार किया। इस घटना के बाद पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कई नाम शामिल किए गए।

आरोप लगने के तुरंत बाद पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को गिरफ्तार किया गया और लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा। इस घटना ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया, क्योंकि यादव उस समय राष्ट्रीय जनता दल के एक प्रभावशाली नेता माने जाते थे।


निचली अदालत का फैसला

निचली अदालत ने इस मामले में राजबल्लभ यादव, सुलेखा देवी, और राधा देवी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही, तीन अन्य अभियुक्तों — संदीप सुमन, टूसी देवी और छोटी देवी — को 10 साल की सजा दी गई थी। अदालत ने माना था कि यह घटना नाबालिग के खिलाफ गंभीर अपराध है और इसमें सभी अभियुक्तों की भूमिका रही है।


हाईकोर्ट में अपील और सुनवाई

सभी दोषियों ने पटना हाईकोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी। जस्टिस मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने इस मामले में विस्तृत सुनवाई की और 7 मई 2025 को फैसला सुरक्षित रखा। आज सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि साक्ष्यों में गंभीर विरोधाभास हैं, गवाहों के बयान में स्थिरता नहीं है, और अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि घटना में अभियुक्तों की भूमिका संदेह से परे है।


फैसले के बाद की प्रतिक्रिया

जैसे ही कोर्ट ने फैसला सुनाया, राजबल्लभ यादव के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। कोर्ट परिसर के बाहर समर्थकों ने फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया और पटाखे फोड़े। यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा:

“सच्चाई की जीत हुई है। इस मामले ने मेरे राजनीतिक और सामाजिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया, लेकिन न्यायपालिका पर मेरा भरोसा कभी डगमगाया नहीं।”


राजनीतिक पृष्ठभूमि

राजबल्लभ यादव का राजनीतिक करियर हमेशा विवादों और चर्चाओं से घिरा रहा है। वे नालंदा जिले से आरजेडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और पार्टी के सक्रिय नेता रहे हैं। लेकिन 2016 के इस मामले के सामने आने के बाद उनकी छवि को गहरा आघात पहुंचा था।

आरजेडी ने उस समय मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था। इस केस ने न केवल उनकी राजनीतिक स्थिति बल्कि उनके व्यक्तिगत जीवन को भी बुरी तरह प्रभावित किया।


POCSO एक्ट का महत्व

यह मामला POCSO एक्ट 2012 के तहत दर्ज किया गया था, जो नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों के लिए एक सख्त कानून है। इस कानून में दोषी पाए जाने पर कठोर सजा का प्रावधान है, जिसमें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल बिहार की राजनीति बल्कि कानूनी हलकों में भी चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि इससे यह बहस फिर छिड़ गई है कि गंभीर आपराधिक मामलों में साक्ष्यों की गुणवत्ता और गवाहों की विश्वसनीयता कितनी अहम होती है।


आगे का रास्ता

फिलहाल, यह साफ नहीं है कि इस मामले में राज्य सरकार या अभियोजन पक्ष सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा या नहीं। अगर ऐसा होता है, तो यह मामला फिर से चर्चा में आ सकता है।

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