
प्रदीप कुमार नायक
स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार
अपनी दृढ़ता व आदर्शो की धरातल से जुड़े भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के युवा,कर्मठ व निष्ठावान अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश गौरव ने भारत और नेपाल दोनों देशों के पत्रकार एवं समाज के सहयोग से बड़ी शोहरत हासिल की।जब कोई तुम्हारी आवाज़ न सुने तो “एकला चलो रे” का सिद्धांत बहुत अच्छा हैं।लेकिन जब एक से जुड़कर एक आगे बढ़ता हैं तो वह कारवां बन जाता हैं और कारवां हमेशा सर्व शक्तिमान होता हैं और वहीं कारवां को जब कोई उचित नेतृत्व मिलता हैं तो वह संगठन बन जाता हैं।यही विचारधारा उनके रग-रग में समाएं हुए हैं।
स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार प्रदीप कुमार नायक को एक विशेष भेंट में भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश गौरव ने कहां कि हम अपने आपको पत्रकार, समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित कर चुके हैं।जिस तरह दोनों देशों के पत्रकारों ने मुझे पत्रकार, समाज व देश की सेवा करने का मौका दिया हैं।हम विश्वास और कर्मठता के साथ पत्रकारों के उम्मीदों को पूरा करेंगे।
उन्होंने कहां कि हम समय-समय अपने क्षेत्र के अलावें भारत नेपाल और भूटान का भी दौरा करेंगे।हमने तीनों देशों के पत्रकारों को इस यूनियन में शामिल करने का लक्ष्य रखा हैं।सबसे पहले भूटान में एक राष्ट्रीय अध्यक्ष और सारे कैबिनेट का भी विस्तार किया जाएगा।तीनों देशों के पत्रकारों को पत्रकार सुरक्षा कानून लागू कराने के लिए हमें कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत हैं।यह हमारें वजूद और अस्तित्व की लड़ाई हैं।चौथा स्तम्भ के वजूद को बचाने के लिए हम सभी यह पहल करें।
यूनियन के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश गौरव ने यह ऐलान किया हैं कि आने वाले दिनों में भारत नेपाल पत्रकार यूनियन न केवल अच्छे पत्रकारों को संगठन में आमंत्रित कर रही हैं, बल्कि ऐसे राष्ट्र भक्त पत्रकारों का साथ भी चाहती हैं, जो किसी भी रूप में संगठन तथा यूनियन को सशक्त बनाने में अपना योगदान दे।
वैसे आज की पत्रकारिता सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप की पत्रकारिता बनकर रह गई हैं।समाज और जनता के प्रति अपने दायित्व को पत्रकार भूलते जा रहे हैं।यह पत्रकारिता का दूसरा चेहरा बन चुका हैं।अधिकत्तर पत्रकारों को देश और समाज सेवा करने की अपेक्षा अपनी सेवा करने में ज्यादा आनन्द आता हैं।
अफसरशाही के विरुद्ध इनकी आवाज़ उठता रहता हैं।पत्रकारों और गरीबों के शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाना एवं सभी को सम्मान देना,जनता और पत्रकारों को मसीहा समझना वे अपना कर्तव्य समझते हैं।वे किसान सहकारिता और पत्रकारिता पर जोर देकर कहते हैं कि सबको इज्जत सबको काम मिलना चाहिए।
उनकी लोकप्रियता सभी जाति,धर्म और पत्रकारों के बीच हैं।वे समाज और पत्रकारों के जमीनी हकीकत से वाकिफ़ हैं।इनका मानना हैं कि भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के अंत राष्ट्रीय अध्यक्ष पद मेरे लिए सत्ता साधन नहीं हैं।मैं गरीबो,मजलूमों और पत्रकारों को हक़-अधिकार दिलाने के लिए अंत राष्ट्रीय पद पर हूं।
मुकेश गौरव जी भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के सच्चें सिपाही के रूप में दोनों देशों में कार्यरत हैं।दोनों देशों के चौतरफा विकास,पत्रकारों के सुख,दुःख दर्द में सहचर,महिला सशक्तिकरण सहित हर तरफ खुशहाली के लिए वे संघर्षरत हैं।
उल्लेखनीय हैं कि दोनों देशों के पत्रकारों का समाज आर्थिक और राजनीतिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ हैं।इसमें उसका प्रकाशमान नक्षत्र चमकते हैं।लेकिन उन्हें सरकार द्वारा प्रयासरत सहयोग,समर्थन और प्रोत्साहन नहीं मिल पाता हैं।जिससे उनकी पत्रकारिता की आभा क्षीण पड़ जाता हैं।वे पत्रकार समाज के प्रति पत्रकारिता और राजनीतिक चेतना जगाने के लिए अथक प्रयासरत हैं।
भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के चुनाव निर्वाचन पदाधिकारी राजू कुमार सोनी का कहना हैं कि हमारी यूनियन के अंत राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश गौरव न केवल एक कर्मठ,ईमानदार और साहसी अंत राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, बल्कि पत्रकारों के सच्चें, हिमायती और हमदर्द भी हैं।
मुकेश गौरव ऐसे मिलनसार व्यक्ति हैं,जो सभी पत्रकारों एवं लोंगो से काफी उत्सुकता एवं प्रेम से मिलते हैं।आज व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण लोंगो के बीच अपनत्व टूट रहा हैं।ऐसे माहौल में टूटते अपनत्व को वे हमेशा जोड़ने का काम किया हैं।इनके द्वारा विभिन्न सामाजिक,धार्मिक और पत्रकारिता जगत में काफी सराहनीय कार्य किया गया।लगता हैं कि वे पत्रकारिता जगत और समाज में छायें अंधकार को दूर करने तथा अलख जगाने के लिए निकल पड़े हैं।इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता हैं कि वे हर हमेशा पत्रकारों के हक-अधिकार व उन्हें जोड़ने के लिए हमेशा प्रयासरत दिखे।वे जाति न पूछो साधु की पर हमेशा अमल करते हैं।
किसी ने कहां हैं कि जिन्दगी हैं तो ख्वाब हैं, ख्वाब हैं तो रास्ते हैं, रास्ते हैं तो मंजिल हैं, मंजिल हैं तो हौसला हैं, हौसला हैं तो विश्वास हैं और यही विश्वास मुकेश गौरव को पत्रकारों और समाज सेवा के लिए प्रेरित करता हैं।इस प्रेरणा को अपने जीवन में उतारकर विकास की नई महागाथा लिखने के लिए मुकेश गौरव पूरी तरह तैयार हैं।इनके मन में पत्रकारों और लोंगो के लिए एक गहरी टीश हैं, और यह टीश अनायाश यदा-कदा फूट पड़ती हैं।
दोंनो देश सहित राज्य की पत्रकारों के लिए समर्पित उनके हर सुख-दुःख दर्द में सहयोगी और सहचरी बनकर विकास की नई गाथा लिखने के लिए तत्पर आज के समय में वे सच्चें पत्रकारों और समाज सेवक के रूप में प्रचलित हो रहे हैं।पत्रकारिता क्षेत्र में इनकी भूमिका सर्वोपरि रहा हैं।पत्रकारिता और समाज सेवा का काम पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करना नहीं, बल्कि किसी दुःखी के आँख के आँशु पोछने में हैं।पत्रकारों की सच्ची सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले मुकेश गौरव आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं।वे पत्रकारों की सेवा के लिए मिसाल हैं और आने वाले कई वर्षों तक यह मिसाल पत्रकार और समाज के सच्चे सेवक के रूपमें दोंनो देशों के पत्रकारों को मिलता रहे।पत्रकारिता और सामाजिक क्षेत्रों में इनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
” मेहंदी जब सहती हैं प्रहार बनती ललनाओं का सिंगार”,”जब फूल पिरोएं जाते हैं”,”उनको गले लगाते हैं”।महान कवि रामधारी दिनकर की ये पंक्तियां भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के अंत राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश गौरव पर उपयुक्त बैठती हैं।अर्थात मेहंदी जब पत्थर पर घिसती हैं तो प्रहार सहती हैं।तभी वह अपना रंग बिखरने में कामयाब होती हैं।
जाते-जाते उन्होंने इतना कहां कि दोनों देशों के पत्रकारों सहित राज्य की पत्रकारों का स्नेह ,आशीर्वाद, दृढ़ विश्वास मुझे मिलता रहा तो मैं इस दोंनो देशों के पत्रकारों को अवश्य विकसित और एकजूट कर नया कीर्तिमान स्थापित करूंगा।रुकना मेरी मंजिल नहीं काम करते रहना ही मेरा मुकाम हैं।
दिल में जज्बा और हौसला भी हैं,मार्ग कठिन हैं, पर जोश हैं।हमारी सोच को आपको भी पालन करना होगा और एक होकर हमें हमारी पत्रकार समाज और देश की तरक्की एवं खुशहाली के लिए आगे बढ़ना होगा और सच्चे दिल से इसे साकार करना होगा।
लेखक – स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, समाचार पत्र एवं चैनलों में अपनी योगदान दे रहें हैं।
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