
कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर नेपाल के बराहक्षेत्र में उमड़े श्रद्धालु
मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर अररिया जिले के सैकड़ो लोग नेपाल के बारह क्षेत्र में स्नान कर भगवान विष्णु के बराह अवतार के दर्शन करने पहुंचे थे। नेपाल के बराह क्षेत्र के भगवान विष्णु के सातवें अवतार के दर्शन पर नेपाल पड़ोसी ही नहीं बल्कि इनका सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्ता भी सदियों पुराना रहा है। खासकर भगवान विष्णु का वाराह मंदिर नेपाल के बराह क्षेत्र में जहां पर विराजमान है वहाँ पर जितने श्रद्धालु नेपाल से पहुंचते हैं उतने अपने सीमांचल और कोशी क्षेत्र के लोग भी पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बराह क्षेत्र में लगने वाले इस मेले में हर वर्ष भारत से हजारों लोग पहुंचते हैं एवं भगवान विष्णु का दर्शन कर पूजा अर्चना करते हैं। लोगों में ऐसा मानना है कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर इस क्षेत्र के कोसी में स्नान के पश्चात बराह भगवान की पूजा अर्चना व दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वाराह क्षेत्र में बहने वाली कोसी नदी हिमालय से नीचे उतरती है नेपाल के चतरा पहुंचकर कोसी बेराज में सम्मिलित हो जाती है। चतरा से छह किलोमीटर पैदल दूरी तय कर श्रद्धालु बाराह क्षेत्र में पहुंचते हैं।
पूर्णिया, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, कटिहार सहित बिहार के अन्य जिलों से हजारों लोग फारबिसगंज के जोगबनी से बिराटनगर होते हुए श्रद्धालु बस से सफर करके चतरा गद्दी पहुंचते हैं। वहां पहुंचने के बाद श्रद्धालु लगभग छह किलोमीटर दूर पहाड़ी पर चलकर मंदिर तक की यात्रा तय करते हैं। इससे पूर्व चतरा गद्दी में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है। लोग तीर्थ यात्रा के साथ साथ अपने परिजनों से मिलते हैं।
लोगों के बीच मिट जाती है भाषा की विविधताएं:
रानीगंज निवासी मंटू पूर्वे, मुन्ना यादव, राजेश मिस्त्री, अवेश मिस्त्री आदि लोग बताते है कि कई सालों से बराह क्षेत्र दर्शन के लिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि जब नेपाल के वराह क्षेत्र पहुंचते हैं तो वहां मैथिली व नेपाली भाषा सुनकर ऐसा प्रतीत होता है कि हम विदेश नहीं बल्कि अपने देश में हैं क्योंकि बड़ी संख्या में यहां मैथिली भाषी रहते हैं। इसके अलावा मैथिली व नेपाली भाषा एक दूसरे से मिलती जुलती भी है। मिथिलांचल और नेपाल के बराह क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा सांस्कृतिक ध्ष्टि से समान है। यहां भगवान विष्णु के दर्शन का सौभाग्य तो प्राप्त होता हीं हैं साथ साथ अपनापन का भी सुखद एहसास होता है। इसके अलावा वराह क्षेत्र में लगने वाले इस मेले में दो दिनों के अंदर करोड़ों का कारोबार होता है। जिससे नेपाल की अर्थव्यवस्था को काफी मदद मिलती है। एक अनुमान के अनुसार बताया जाता है कि भारतीय क्षेत्र से लगभग पांच लाख लोग बराह क्षेत्र पहुंचते हैं। चतरा गद्दी में किराना का प्रतिष्ठान चला रहे स्थानीय निवासी जोगेंद्र कारक, जुगनू, सुधांशू, सोनी कुमारी, ने बताया कि दो दिनों के इस पवित्र मौके का व्यवसायियों को महीनों से इंतजार रहता है।