
देश के इस राज्य में लगता है भूतों का मेला, जानिए पूर्णिमा की रात क्या करते हैं तांत्रिक-ओझा
बिहार के हाजीपुर के कोनहारा घाट पर हर साल कार्तिक पूर्णिमा की रात भूतों का मेला लगता है। यहां पर ओझा और तांत्रिकों की मंडली लगती है और लोगों के ऊपर से भूत भगाने का काम किया जाता है।
हमारा देश आज चांद पर चला गया। लेकिन अभी भी लोगों का अंधविश्वास की तरफ झुकाव ज्यादा है। साइंस ने भले ही हर क्षेत्र में तरक्की कर ली हो लेकिन आज भी शिक्षा और जागरुकता के अभाव में देश के कई इलाकों में अंधविश्वास और आस्था साइंस पर भारी पड़ती साफ नजर आती है। इसका जीता जागता उदाहरण कार्तिक पूर्णिमा की रात बिहार के हाजीपुर के कौनहाराघाट घाट में देखने को मिला। यहां भूत भगाने का खेल पूरी रात कौनहाराघाट घाट पर चलता है। जिसको लेकर जिला प्रशासन भी लगभग एक महीना से इस भूत के मेले के आयोजन के लिए लगातार मेहनत करती नजर आती है। भूत को पकड़ने और भगाने के लिए भारी संख्या में भगत और ओझा भी इस मेले में पहुंचते हैं। जहां पर भगत और ओझा की दुकान पूरी रात चलती है।
भूत भगाने के लिए खींचे जाते हैं महिलाओं के बाल
कार्तिक पूर्णिमा की रात तांत्रिक इस अनुष्ठान के दौरान भूत से परेशान लोगों को निजात दिलाते दिखते हैं। भूतों को पकड़ने और भगाने का दावा करने वाले ओझा भी इस मेले में बड़ी संख्या में आकर अपनी मंडली लगाते हैं। जगह-जगह ओझाओं की मंडली सजी होती है। जो अलग-अलग अनुष्ठान कर रहे होते हैं। भूत भगाने की तस्वीर देखने को मिलती है। यहां अजीबोगरीब दृश्य दिखता है। कहीं तो भूत भगाने के लिए महिलाओं के बालों से खींचे जाते हैं। तो कहीं छड़ी यानि स्थानीय भाषा में जिसे बेत कहते हैं। उससे पिटाई भी की जाती है। भूतों के इस अजूबे मेले में आए ओझाओं के दावे भी आपको अजूबे लगेंगे। सबसे मजेदार बात ये होती है कि भूतों की भाषा सिर्फ ओझा और भगत समझते हैं।