राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच तकरार खत्म, राज्यपाल और शिक्षा मंत्री ने की कुलपतियों के साथ बैठक
शिक्षा विभाग की ओर से विश्वविद्यालयों के खातों पर लगी रोक हटा दी गई है। पूर्व एसीएस केके पाठक के अड़ियल रवैये से राज्यपाल नाराज हो गए थे। अब माना जा रहा है कि पिछले लंबे समय से चल रहा गतिरोध अब खत्म हो चुका है। शिक्षा मंत्री और राज्यपाल ने बैठक भी की है।
बिहार में उच्च शिक्षा को लेकर पिछले कई महीनों से चला आ रहा राजभवन और शिक्षा विभाग का गतिरोध अब समाप्त हो गया है। एक तरफ जहां शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के कई विवि के खातों पर लगी रोक को हटाने का आदेश जारी किया गया है। दूसरी तरफ उच्च शिक्षा को लेकर राजभवन में राज्यपाल की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग और कुलपतियों की बैठक भी हुई है। जिसमें शिक्षा मंत्री और विभाग के अपर मुख्य सचिव भी शामिल हुए। बैठक में निर्देश दिए गए कि विद्यार्थियों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को केंद्र में रखकर अपने-अपने विवि के लिए एकेडमिक रोडमैप तैयार किया जाए।
विश्वविद्यालयों को सही मायने में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने हेतु प्रयास करें। बिहार के कई विश्वविद्यालयों के कर्मियों और प्रोफेसरों को राहत मिली है। शिक्षा विभाग के सचिव वैधनाथ यादव द्वारा पत्र जारी कर विवि के सभी प्रकार के खातों पर लगी रोक को हटाने की बात कही गई है। बता दें कि शिक्षा विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेशों से खातों पर रोक लगी थी। इसको लेकर राजभवन की तरफ से कड़ी आपत्ति दर्ज करवाई गई थी।
हाईकोर्ट भी गया था मामला
शिक्षा विभाग ने मौलाना मज हरुल हक अरबी एवं फारसी विवि पटना, पूर्णिया विवि पूर्णिया और मुंगेर विवि मुंगेर के सभी प्रकार के खातों और महाराजा कामेश्वर सिंह संस्कृत विवि के कुलपति के वेतन निकासी पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद यह मामला पटना हाई कोर्ट गया था। कोर्ट ने खातों पर लगी रोक को हटाने के निर्देश दिए थे। आज हुई बैठक की अध्यक्षता राज्यपाल और कुलाधिपति राजेंद्र वी आरलेकर ने की। राज्यपाल ने बैठक में निर्देश दिए कि विश्वविद्यालयों में Academics और Research के लिए डीन की आवश्यकता है। समाज के उन्नयन हेतु शिक्षा केंद्र के रूप में विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न न्यायादेशों में भी विश्वविद्यालयों को स्वायत्त मानते हुए कहा गया है कि शिक्षा विभाग का दायित्व उन्हें समुचित निधि उपलब्ध कराना है।
राज्यपाल ने बिहार के शैक्षणिक वातावरण को बेहतर बनाने हेतु नए सिरे से प्रयास करने के निर्देश दिए। कहा कि जुलाई में राजभवन में Academics के लिए सभी कुलपतियों का दो दिवसीय नेतृत्व विकास कार्यक्रम (Leadership Development Programme) का आयोजन करना है। बैठक को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि कुलपतिगण विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर कार्य योजना बनाएं। उन्हें प्रयास करना चाहिए कि हमारी भावी पीढ़ी का भविष्य बेहतर हो तथा हमारा राज्य शिक्षा के क्षेत्र में पुरानी प्रतिष्ठा को प्राप्त कर सके। उन्होंने कहा कि समर्पण और अनुशासन के साथ-साथ यदि डिलीवरी सिस्टम ठीक हो तो लक्ष्य प्राप्त करना संभव है। Team Spirit के साथ सबको मिलकर काम करने पर विश्वविद्यालयों की स्थिति में जरूर सुधार होगा।
कुलपतियों ने कई मुद्दों पर रखी बात
बैठक में कुलपतियों ने आधारभूत संरचना को मजबूत करने, आंतरिक अंकेक्षण की व्यवस्था, कर्मियों की नियुक्ति, वेतन एवं पेंशन का भुगतान, अतिथि शिक्षकों के मानदेय का भुगतान, आईटी सेल का गठन आदि से संबंधित बातें रखी। उन्होंने विश्वविद्यालयों को Centre of Excellence बनाने हेतु भी अपने सुझाव दिए। शिक्षा मंत्री एवं अपर मुख्य सचिव ने विश्वविद्यालयों की समस्याओं के समाधान हेतु सभी आवश्यक उपाय किए जाने का आश्वासन दिया। राज्यपाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में शिक्षा मंत्री, अपर मुख्य सचिव डॉ॰ एस सिद्धार्थ, राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू, बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षा विभाग के सचिव व उच्च शिक्षा निदेशक, राज्यपाल सचिवालय के पदाधिकारीगण एवं अन्य लोग उपस्थित थे।