
बिहार में सबसे बड़ा भूतों का मेला, पूरी रात चलता है गंडक नदी के घाट पर अंधविश्वास का खेल
Bihar News: इंसानों के मेले के बारे में तो आपने सुना होगा, लेकिन क्या कभी भूतों के मेले के बारे में सुना है? नहीं सुना तो आज बताएंगे कि कहां पर भूतों के मेले का आयोजन किया जाता है, और इसके पीछे की वजह क्या है?
बिहार में भूतों का मेला
बिहार में कार्तिक पूर्णिमा की रात को भूत भगाने और सिद्धि करने का खेल भगत और ओझा के द्वारा किया जाता है। हाजीपुर में गंडक किनारे कौनहारा घाट में जहां तक आपकी नजर जाएगी, वहां तक ओझा और भगत का मंडली दिखाई देगी। यहां पर फिर शुरू होता है भूत भगाने का खेल, अजीब बात यह है की भूत की भाषा केवल भगत और ओझा ही समझ पाते हैं। भूत भगाने के नाम पर महिलाओं को बाल पड़कर गंगा स्नान कराया जाता है। कहीं पर महिलाओं को पीट कर उनसे भूत को निकाला जाता है। आपको बता दें कि कौनहारा घाट पर मोक्ष का धाम माना जाता है।
क्या है मान्यता?
हाजीपुर के कौनहारा घाट को लेकर कहा जाता है कि गंगा-गंडक संगम में गज और ग्राह के बीच युद्ध हुआ था। काफी बलवान होने के बावजूद पानी में गज कमजोर पड़ गया तभी गंगा में उसे एक कमल का फूल दिखाई दिया। गज ने अपने सूढ़ में कमल का फूल और गंगाजल लेकर हरि की आराधना की। जिसके बाद भक्त की पुकार पर खुद हरि ने दर्शन दिए और ग्राह का वध कर गज की प्राण रक्षा की। प्रभु के हाथों मरकर जहां ग्राह को मोक्ष की प्राप्ति हो गई तो वहीं गज को नया जीवन मिला। मोक्ष एवं नये जीवन की प्राप्ति की कामना को लेकर कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों की संख्या में लोग गंगा स्नान करने हाजीपुर एवं सोनपुर के घाट पर पहुंचते हैं।
1000 कांस्टेबल की तैनाती
वैशाली एसपी हरकिशोर राय ने बताया कि 10 दिनों से कार्तिक पूर्णिमा को लेकर तैयारियां की जा रही हैं। जिसमें ट्रैफिक व्यवस्था के लिए भी आदेश दिए गए हैं। वहीं, 1000 कांस्टेबल की भी तैनाती की गई है, इसके अलावा 400 के करीब अधिकारियों को भी तैनात किया गया है। जिले का सबसे इंपॉर्टेंट घाट कौनहारा घाट है, जहां पर काफी भीड़ होती है। इसके लिए वहां पर सीसीटीवी कैमरा और ड्रोन नजर रखी जा रही है।